यह सब लिखते हुए उंगलियां कांप रहीं हैं
पर जो सच है उसे हिम्मत करके कहना ही पड़ेगा।
करूणाकर नहीं रहे।
मौत के आगे हार गई जिंदगी।
हमारी कोशिशें काम नहीं आईं।
http://bhadas.blogspot.com/2008/08/blog-post_4282.html
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