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मज़हब ए कुफ़्र
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अप्रैल 26, 2010
माओवादी (एक लम्बी कविता...)
अप्रैल 21, 2010
"और कुछ नया ताज़ा सुनाओ..." (कविता)
अप्रैल 17, 2010
भोला मन जाने अमर मेरी काया
अप्रैल 11, 2010
मूर्ख बने रहो...“मुझे क्या पता....” का मंत्र जपो....
अप्रैल 03, 2010
ऐसा मौका फिर कहां....
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