संदेश

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खाकी...लाल बत्ती और शराब....

तेरे जाने के बाद-3

वो कहते हैं कि..... हैप्पी बड्डे........

मां गूंथ रही है कविता....

पूर्णमिदं

यहां कभी कुछ पेड़ हुआ करते थे....

कुछ जो कहा नहीं गया

आखिरी स्मारक

जुल्फ - अंगडाई - तबस्सुम

कुछ यादें सिरहाने......

प्रतीक्षा

धूमिल की एक और कविता ...प्रजातंत्र

अच्छा अनुभव

एक रात का मेहमान....पुचकू..!

बापू वाकई आज खुश होंगे......

दुनिया जिसे कहते हैं.....

तो आप क्या कहते हैं ?

फिर फिर देखें....फिर फिर मज़ा लें !

सृजन का पर्व....नव त्राण की कल्पना

कुछ सूचनाएँ ....

शहीद सुखदेव का महात्मा गांधी को पत्र

जनतन्त्र के सूर्योदय में

फिर देखें और फिर मज़ा लें....पक्का मज़ा आएगा

हो ना हो ........

बस देखें और मज़ा लें....दिल पे ना लें.....

शोर...

आज बिरज में होली रे रसिया.....

माँ काश तुम नारी होती.....

अब मैं वो नहीं.....

अँधेरे चारों तरफ़ .......

यह फागुनी हवा .........

मौसम के संदेश

अंधेरों का सफर .....

आधा चांद मांगता है पूरी रात

प्रेम, तुम और समाज का ठेका.....

नीरज जी की सालगिरह पर ......