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बलात्कार का प्रशिक्षण

यशवंत की गलती है लेकिन संपादक जी आपकी मंशा क्या है?

तुम बहुत दिनों तक बनी दीप कुटिया की...

मुस्काती है एक औरत....

सुबह अब मेरे दर पे आती नहीं है...

नीली साड़ी...सपना...और तुम

आप सभी से इसका जवाब चाहिए...

मुझे माफ़ कर देना....

आओ-आओ...नाटक देखो...