सुबह अब मेरे दर पे आती नहीं है...
तेरी ये उदासी जो जाती नहीं है
मेरे दर पर अब सुबह आती नहीं है
किताबें मेरी धूल में सन गई हैं
वो आंखों को चेहरा दिखाती नहीं हैं
चांद आया था घर, ताक पर रख दिया है
कि अब धूप आंगन में आती नहीं है
तेरी आंख में एक कहानी छिपी है
मगर तेरी बोली बताती नहीं है
तेरी ज़ुल्फ़ में मेरी किस्मत फंसी है
लटों को क्यूं रुख से हटाती नहीं है
उसे क्या हुआ है, क्या मुझसे ख़फ़ा है
मुझे देख वो मुस्कुराती नहीं है
ये नारे उछालो हवा में संभल के
हुकूमत को हरकत ये भाती नहीं है
ग़ज़लगोई अब नामुनासिब हुई है
कि अब सुबह बुलबुल भी गाती नहीं है
नज़ारों को भूला, बियाबां में भटका
मगर याद ज़ेहन से जाती नहीं है
मयंक अब समझ जाओ, बदलेगा न कुछ
जो खल्क ए खुदा, कसमसाती नहीं है
मेरे दर पर अब सुबह आती नहीं है
किताबें मेरी धूल में सन गई हैं
वो आंखों को चेहरा दिखाती नहीं हैं
चांद आया था घर, ताक पर रख दिया है
कि अब धूप आंगन में आती नहीं है
तेरी आंख में एक कहानी छिपी है
मगर तेरी बोली बताती नहीं है
तेरी ज़ुल्फ़ में मेरी किस्मत फंसी है
लटों को क्यूं रुख से हटाती नहीं है
उसे क्या हुआ है, क्या मुझसे ख़फ़ा है
मुझे देख वो मुस्कुराती नहीं है
ये नारे उछालो हवा में संभल के
हुकूमत को हरकत ये भाती नहीं है
ग़ज़लगोई अब नामुनासिब हुई है
कि अब सुबह बुलबुल भी गाती नहीं है
नज़ारों को भूला, बियाबां में भटका
मगर याद ज़ेहन से जाती नहीं है
मयंक अब समझ जाओ, बदलेगा न कुछ
जो खल्क ए खुदा, कसमसाती नहीं है
चांद आया था घर, ताक पर रख दिया है
जवाब देंहटाएंकि अब धूप आंगन में आती नहीं है
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...
चांद आया था घर, ताक पर रख दिया है
जवाब देंहटाएंकि अब धूप आंगन में आती नहीं है
Behtareen!
किताबें मेरी धूल में सन गई हैं
जवाब देंहटाएंवो आंखों को चेहरा दिखाती नहीं हैं
प्रभावशाली रचना ...
किताबें मेरी धूल में सन गई हैं
जवाब देंहटाएंवो आंखों को चेहरा दिखाती नहीं हैं
बहुत खूब ....
ग़ज़लगोई अब नामुनासिब हुई है
जवाब देंहटाएंकि अब सुबह बुलबुल भी गाती नहीं है!
बदलते मौसम का असर मन की कोयल पर भी होता है !
सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंअरुन (arunsblog.in)