खाकी...लाल बत्ती और शराब....
ये दृश्य उत्तर भारत में कहीं का भी हो सकता है....पर फिलहाल उत्तर प्रदेश का है....शहर का नाम है ग़ाज़ियाबाद....और जगह ग़ाज़ियाबाद का रेलवे स्टेशन....और उस स्टेशन का विजय नगर का प्रवेश द्वार....23 दिसम्बर यानी कि कल रात करीब सवा दस बजे...एक मित्र को ट्रेन पकड़ा कर उतरा ही था....कि देखा कि बाहर एक लाल बत्ती की एम्बेसडर खड़ी है....सरकारी....सफेद रंग की....नम्बर भी बताऊंगा अभी....खैर आगे बढ़ते हैं....मैं अभी अपनी बाइक का लॉक खोल ही रहा था कि एक फोन आ गया...इतने में गाड़ी के अंदर से एक भद्दी सी गाली के साथ पीछे रखे पान के खोखे की तरफ एक फरमाइश उछाली गई....अबे....*&*)_(%*&_ एक सिगरेट ला जल्दी....
आवाज़ से लग गया कि जनाब लोग शराब के नशे में हैं....मुड़कर गाड़ी के अंदर देखा तो खून खौल उठा....लाल बत्ती की गाड़ी के अंदर बैठी थी खाकी.....खाकी बोले तो अपने रक्षक पुलिस वाले...और कोई कांस्टेबल या सिपाही नहीं...साक्षात यम का रूप लिए एक दरोगा साहब भी विराजमान थे....और सुना रहे थे अपनी वीरता का एक किस्सा....उनके अलावा गाड़ी में तीन लोग और थे....दो तो साफ साफ पुलिस की वर्दी में दिख रहे थे....एक शायद हेड कांस्टेबल और दूसरा कांस्टेबल.....एक की मूंछें नत्थूलाल जैसी थी....और एक कुछ युवा था....चौथा शख्स ड्राईइविंग सीट पर था....हो सकता है पुलिसवाला हो...या न भी हो....खैर ये तीनो वर्दी में थे....और इन पर कानून की रक्षा की ज़िम्मेदारी थी...पर तीनो कानून तोड़ रहे थे...चौथा भी शामिल था....पर शायद वर्दी में नहीं था....कौन कौन से कानून ये तोड़ रहे थे इस पर भी बात कर लेते हैं....
अब बताता हूं गाड़ी का नम्बर....क्योंकि सबसे ज़रूरी ये है कि इन नीच पुलिसवालों की पहचान हो....उस लाल बत्ती की एम्बेसडर का नम्बर था......
आवाज़ से लग गया कि जनाब लोग शराब के नशे में हैं....मुड़कर गाड़ी के अंदर देखा तो खून खौल उठा....लाल बत्ती की गाड़ी के अंदर बैठी थी खाकी.....खाकी बोले तो अपने रक्षक पुलिस वाले...और कोई कांस्टेबल या सिपाही नहीं...साक्षात यम का रूप लिए एक दरोगा साहब भी विराजमान थे....और सुना रहे थे अपनी वीरता का एक किस्सा....उनके अलावा गाड़ी में तीन लोग और थे....दो तो साफ साफ पुलिस की वर्दी में दिख रहे थे....एक शायद हेड कांस्टेबल और दूसरा कांस्टेबल.....एक की मूंछें नत्थूलाल जैसी थी....और एक कुछ युवा था....चौथा शख्स ड्राईइविंग सीट पर था....हो सकता है पुलिसवाला हो...या न भी हो....खैर ये तीनो वर्दी में थे....और इन पर कानून की रक्षा की ज़िम्मेदारी थी...पर तीनो कानून तोड़ रहे थे...चौथा भी शामिल था....पर शायद वर्दी में नहीं था....कौन कौन से कानून ये तोड़ रहे थे इस पर भी बात कर लेते हैं....
- पहला ये सार्वजनिक स्थल पर मदिरापान कर रहे थे.....जी हां लाल बत्ती की इस गाड़ी के अंदर शराब के दौर पर दौर चल रहे थे...वो भी खुलेआम रेलवे स्टेशन पर....बल्कि युवा पुलिस वाला तो हाथ में पैग लेकर सड़क पर घूम रहा था....
- दूसरा ये कि ये तीनो रेलवे स्टेशन के परिसर में ये हरकत कर रहे थे...जहां तक मेरी जानकारी है वो ज़मीन गाज़ियाबाद रेलवे स्टेशन के अंतर्गत आती है.....
- तीसरा ये कि तीनो ही वर्दी में थे....यानी कि ऑन ड्यूटी मदिरा सेवन हो रहा था....
- चौथा ये कि उसके बाद इन लोगों ने उस कार के सीडी प्लेयर पर एक बेहद ही अश्लील गाना चला कर उसकी आवाज़ को पूरे वॉल्यूम पर कर दिया....और उसी वक्त एक ट्रेन आई होने के कारण वहां आस पास तमाम महिलाएं भी खड़ी थी...मतलब सार्वजिनक स्थल पर अश्लील व्यवहार का भी मामला....
- पांचवां ये कि उसके बाद मैं जो इनको देख रहा था...मुझ पर निगाह पड़ते ही मुझे इशारे से बुलाया गया...और धमकाने वाले अंदाज़ में कहा गया कि देख क्या रहा है बे....मेरे थोड़ा तेवर दिखाने पर चुपचाप कार में बैठ गए साहब....
- छठा....अब ये बताइए कि जब चारों ही पी रहे थे....तो गाड़ी भी ड्राइवर साहब ने पी कर ही चलाई होगी...एक और मामला....शराब पी कर गाड़ी चलाने का...इसमें तो साहब दो साल की कैद भी हो सकती है.....
अब बताता हूं गाड़ी का नम्बर....क्योंकि सबसे ज़रूरी ये है कि इन नीच पुलिसवालों की पहचान हो....उस लाल बत्ती की एम्बेसडर का नम्बर था......
UP32 BN5931
अब साहब गाड़ी का नम्बर भी सबके सामने है....सरकारी गाड़ी थी...नम्बर लखनऊ का है पर पुलिस गाज़ियाबाद की ही थी.....लेकिन सवाल जस का तस है कि जब कानून के रक्षक ही अपराधियों सरीखा व्यवहार कर रहे हों....तब क्या किया जाए और कैसे माओवादियों...या नक्सलियों को गलत ठहराया जाए...और कैसे माना जाए कि आदिवासी इलाकों में पुलिस ज़ुल्म नहीं करती होगी....जब शहरों का ये हाल है....और फिर जब पुलिस ऐसी है तो क्या नागरिक कानून हाथ में ले लें...करें क्या...जवाब चाहिए.....
गाड़ी का नम्बर एक बार फिर नोट कर लें.....
गाड़ी का नम्बर एक बार फिर नोट कर लें.....
UP32 BN5931
अफसोसजनक ...देखिये क्या कहते हैं द्विवेदी जी.
जवाब देंहटाएंबधाई हो आपको...
जवाब देंहटाएंये है ब्लॉगिंग पत्रकारिता... एक जागरुक नागरिक...
अब जागरुक नागरिकों से सबको डरना होगा।
इसी लिंक को उनके ही महकमे के किसी बड़े अफ़सर के पास भेज सकते हैं या मंत्रालय भेज सकते हैं, जानते सब हैं पर कार्यवाही कोई नहीं करता है, क्योंकि सब एक ही थैली के चट्टे बट्टे हैं..
बस उनको पता चलना चाहिये कि अब केवल अखबार के जरिये ही नहीं और भी जरिये हैं जनता तक बात पहुंचाने के...
इस लिन्क को किसी भी तरह किसी उच्चाधिकारी तक पहुँचाने का उपाय यदि किसी ब्लागर से संभव हो तो एक अच्छी बात होगी। आपके प्रयास की सराहना करता हूँ।
जवाब देंहटाएंसादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
शानदार। गाज़ियाबाद के एसएसपी श्री अखिल कुमार,जो पिछले ही दिनों DIG बने हैं,बहुत ही सुलझे हुए अफसर हैं। ये खबर उन तक पहुंच जाये तो इन लोगों की खैर नहीं बशर्ते दरोगा जी किसी छुटभैये BSP नेता के रिश्तेदार या दोस्त ना हों..क्योंकि उनके आगे तो किसी की नहीं चलती है।
जवाब देंहटाएंsharten lagu..........
जवाब देंहटाएंYeh is desh ki vidambana hi samjho..
bahut achche....aapne ankon dekha bayan kar k apne kaam se imaandari ki hai....koshish zaya na hone de aur is no ka pata zarur lagayen
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