शोर...
१४ जून १९५० को जन्मे विष्णु नागर हिन्दी के प्रतिष्ठित कवियों में से हैं। हिन्दी पत्रिका कादम्बिनी के पूर्व सम्पादक (सम्प्रति वर्तमान में सन्डे नई दुनिया के सम्पादक) की साहित्यिक कृतियाँ हैं मैं फिर कहता हूँ चिड़िया(1974) (कविता संग्रह), तालाब में डूबी छह लड़कियाँ (1981) (कविता संग्रह), संसार बदल जाएगा (1985) (कविता संग्रह) । आज का दिन (1981) (कहानी संग्रह)......इनकी एक लघु कविता पढ़ें,
शोर
मेरे भीतर इतना शोर है
कि मुझे अपना बाहर बोलना
तक अपराध लगता है
जबकि बाहर ऐसी स्थिति है
कि चुप रहे तो गए।
विष्णु नागर
शोर
मेरे भीतर इतना शोर है
कि मुझे अपना बाहर बोलना
तक अपराध लगता है
जबकि बाहर ऐसी स्थिति है
कि चुप रहे तो गए।
विष्णु नागर
bhai, vishnu nagar ab kadambnee ke sampadak nahee rahe, ve filhal sanday nai dunia ke sampadak hain.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर लघु कविता ... पढाने के लिए धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंविनीत जी धन्यवाद....भूल सुधार ली गई है
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