हे राम....
रामनवमी
और विजयादशमी
एक राम-जन्म का
पर्व
एक रावण-वध का
गर्व
दोनों के बीच
केवल
छः महीनों का भेद
पर
हमें है बेहद
खेद
कि ये अंतर
पंचांग में ही
कम है
असल में
आज भी रावण ज़्यादा
राम कहीं
कम हैं....
हे राम
आज तुम आए हो
पुनः
तस्वीरों में
लोकगाथाओं में
लोकगीतों में
रिवाज़ों में
रीतों में
फिर अभिजित नक्षत्र है
फिर है चैत्र की नवमी
फिर मंदिरों में शोर है
तुम्हारे आगे है भीड़ जमी
पर हे राम.....
तुम तो
मानव रूप में
जन्मे थे न....
फिर क्यों नहीं
दे पाए
मानव को वरदान
मानव रूप में
रहने का विद्यमान
राम
तुम बस मूर्तियों में रहे
भावना से हुआ
तुम्हारा अवसान
राम
तुमने देव होकर भी
मानव का अवतार
ले लिया
पर मानव
देव बनने के लिए
मानव भी नहीं रहा
हे राम....उस से
रंग जाएगी ये दुनिया
जितना खून
तुम्हारे नाम पर बहा
और बस अब
विवादित रह गया
तुम्हारा नाम
हर अनहोनी पर
कहते हैं हम.....
हे राम.....
रामनवमी पर्व की हार्दिक शुभकामना और बधाई ...
जवाब देंहटाएंsatya vachan!!!!!!
जवाब देंहटाएंIsi pratyasha me ki Raam fir ayenge
रामनवमीं की अनेक मंगलकामनाएँ.
जवाब देंहटाएं-
हिन्दी में विशिष्ट लेखन का आपका योगदान सराहनीय है. आपको साधुवाद!!
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अनेक शुभकामनाएँ.
देव बनने के लिए
जवाब देंहटाएंमानव भी नहीं रहा
हे राम....उस से
रंग जाएगी ये दुनिया
जितना खून
तुम्हारे नाम पर बहा
और बस अब
विवादित रह गया
तुम्हारा नाम
हर अनहोनी पर
कहते हैं हम.....
हे राम.....
Kitna saty hai in panktionme!