वक्त...हालात...ज़िंदगी...

वक़्त
दगाबाज़ है
बहुत
एक सा रहने के
भरोसे दिला कर
कभी भी बदल जाता है

हालात
का वादा था
बने रहने का
पर
वक्त को देख
वक्त के साथ
चलने की ज़िद में
मचल जाता है

ज़िंदगी
साथ देने का इसका
नहीं कोई वादा भी
और
पता भी नहीं
कब छोड़ेगी साथ
पर चल रही है
और
साथ है तब भी
साथ छोड़ चुके हैं
जब वक़्त और हालात....

(दरअसल ज़िंदगी की सबसे अच्छी बात ये है कि य़े चलती रहती है.....और शायद सबसे बुरी बात भी यही है....)

टिप्पणियाँ

  1. बहुत बढ़िया! यही जिन्दगी है लेकिन!

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

लोकप्रिय पोस्ट