कुछ और चिट्ठियां
सप्ताह भर भगत सिंह की सालगिरह मना रहे ताज़ा हवा पर आज थोड़ा देर से सही पर एक पोस्ट ले ही आया हूँ ...... आज पेश हैं भगत सिंह के कुछ व्यक्तिगत पात्र जो उन्होंने अपने परिवार को लिखे थे। इन पत्रों में झलक मिलती है की जूनून क्या होता है और उनमे वो किस हद तक भरा था !
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शादी से इनकार के लिए पिताको पत्र
पूज्य पिता जी,
नमस्ते।
मेरी जिन्दगी मकसदे आला यानी आजादी-ए-हिन्द के असूल के लिए वक्फ हो चुकी है। इसलिए मेरी जिन्दगी में आराम और दुनियावी खाहशात बायसे किशश नहीं है।
आपको याद होगा कि जब मैं छोटा था, तो बापू जी ने मेरे यज्ञोपवीत के वक्त ऐलान किया था कि मुझे खिदमते वतन के लिए वक्फ कर दिया गया है। लिहाजा मैं उस वक्त की प्रतिज्ञा पूरी कर रहा हू।
आपका ताबेदारभगतसिंह
छोटे भाई कुलतार को अन्तिम पत्र
सेण्ट्रल जेल,
3 मार्च,1931
प्यारे कुलतार,
आज तुम्हारी आ¡खों में आसू देखकर बहुत दुख पहु¡चा। आज तुम्हारी बातों में बहुत दर्द था। तुम्हारे आ¡सू मुझसे सहन नहीं होते। बरखुरदार, हिम्मत से विद्या प्राप्त करना और स्वास्थ्य का ध्यान रखना। हौसला रखना, और क्या कहू-
उसे यह फिक्र है हरदम नया तर्जे-जफ़ा क्या है,
हमें यह शौक़ है देखें सितम की इन्तहा क्या है।
दहर से क्यों ख़फ़ा रहें, चर्ख़ का क्यों गिला करें,
सारा जहा अदू सही, आओ मुक़ाबला करें।
कोई दम का मेहमा हू ऐ अहले-महिफ़ल,
चराग़े- सहर हू¡ बुझा चाहता हू।
हवा में रहेगी मेरे ख्याल की बिजली,
ये मुश्ते-ख़ाक है फानी, रहे रहे न रहे।
अच्छा रूख़सत।
खुश रहो अहले-वतन, हम तो स़फर करते हैं।
हिम्मत से रहना।
नमस्ते।
तुम्हारा भाई,
भगतसिंह
पढ़ें और एक बार फिर की अब सोचना शुरू करें .......
आभार।
जवाब देंहटाएंइतने अमूल्य पत्रों को पढवाने के लिए आपका धन्यवाद
जवाब देंहटाएंaapne di hai schchi shardhanjali
जवाब देंहटाएंकुछ तो है जो सामने लाते जनून हैं
जवाब देंहटाएंहकीकत ये है कि पढ़ के पाते सकून हैं