ज़रा याद करो कुर्बानी
















एक बार फिर हमारी तथाकथित पहरुआ मीडिया तारीखो के खेल में फिसड्डी साबित हुई। लोकतंत्र कि प्रहरी होने के बडे बडे दावे करने वाली हमारी मीडिया अभी दो दिन पहले १६ दिसम्बर को विजय दिवस को जहा भूल गयी आज १९ दिसम्बर को भी याद करने कि उसने ज़हमत नही उठाई.... सनद रहे कि १९ दिसम्बर १९२७ को काकोरी में ट्रेन डकैती के आरोप में १० क्रांतिकारियों को फांसी दी गयी थी लेकिन आज अफ़ज़ल गुरु की फांसी पर रोने गाने वाली मीडिया को यह दिन याद भी नही .....शायद उसे यह ज़रुर याद होगा कि मिका को रखी को चुम्बित किये कितने दिन महीने और साल बीत गए हैं और आश्चर्य ना हो जब हमारे देशभक्त चैनल और अखबार करीना और सैफ की डेटिंग के १०० दिन पूरे होने पर विशेष कार्यक्रम प्रसारित कर दे !


जन
गन मन भी याद न रखने वाले नेताओ और सरकार से भी हमे मीडिया के मुकाबले कुछ ज्यादा उम्मीदें नही है , ....... खैर हम ताज़ा हवा पर उन सभी शहीद क्रांतिकारियों को याद करते व श्रद्धांजलि देते हैं
शहीदों की चिताओ पर जुडेगे हर बरस मेले
वतन पर मरने वालो का यही बाकी निशान होगा .....





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