आवाज़ ऐ खल्क
इन दिनों राजनैतिक दलों की असल मुद्दों के प्रति उदासीनता दिनोदिन बढ़ती जा रही है। देश प्रदेश कि समस्याओ को ताक पर रख कर यह लोग पता नही किन समस्याओ को हल कर रहे हैं। विधानसभाओ मी होने वाले बेवजह भारी हंगामो के कारण आमतौर पर कार्यवाही स्थगित हो जाती है। जिन लोगो ने विकास और समस्याओ के हल के लिए इन लोगो को सदन में भेजा है वे ही अक्सर सत्र में व्यवधान डालने का काम कर रहे हैं।
पिछ्ले दिनों मध्य प्रदेश विधानसभा का शीत सत्र मात्र तीन दिनों में समाप्त हो गया। जिसमें अनुपूरक बजट डम्पर कि आवाज़ में बिना चर्चा पारित कर दिया गया। विपक्ष द्वारा डम्पर काण्ड के विषय में सदन में भरी शोरगुल किया गया पर क्या ये राजनेता बता पाएंगे कि डम्पर प्रकरण का परिणाम क्या होगा। वैसे आम जनता जानती है कि किसी नेता पर भ्रष्टाचार के कितने ही आरोप लगा दिए जाएँ, आज तक कितने सांसदों और विधायकों को सजा मिली है। अच्छी सड़क, बिजली, शिक्षा और बेहतर स्वास्थ्य सुविधा कि जनता को अधिक आवश्यकता है यह नेता कब इस पर ध्यान देंगे। उनको इस बात से कोई मतलब नही कि सदन कि एक दिन की कार्यवाही पर कितना धन खर्च होता है जो इसी आम जनता से आता है। ये लोग हमेशा एकमत होते हैं तो स्वयं कि वेतन वृद्धि के लिए तो क्या वे कभी नियम बनाएंगे कि सत्र तो पूरा होगा ही।
पिछ्ले दिनों मध्य प्रदेश विधानसभा का शीत सत्र मात्र तीन दिनों में समाप्त हो गया। जिसमें अनुपूरक बजट डम्पर कि आवाज़ में बिना चर्चा पारित कर दिया गया। विपक्ष द्वारा डम्पर काण्ड के विषय में सदन में भरी शोरगुल किया गया पर क्या ये राजनेता बता पाएंगे कि डम्पर प्रकरण का परिणाम क्या होगा। वैसे आम जनता जानती है कि किसी नेता पर भ्रष्टाचार के कितने ही आरोप लगा दिए जाएँ, आज तक कितने सांसदों और विधायकों को सजा मिली है। अच्छी सड़क, बिजली, शिक्षा और बेहतर स्वास्थ्य सुविधा कि जनता को अधिक आवश्यकता है यह नेता कब इस पर ध्यान देंगे। उनको इस बात से कोई मतलब नही कि सदन कि एक दिन की कार्यवाही पर कितना धन खर्च होता है जो इसी आम जनता से आता है। ये लोग हमेशा एकमत होते हैं तो स्वयं कि वेतन वृद्धि के लिए तो क्या वे कभी नियम बनाएंगे कि सत्र तो पूरा होगा ही।
शीत सत्र कि तीन दिन मी समाप्ति से आम जनता का इनके प्रति विश्वास पलटता नज़र आता है क्योंकि इनमे से किसी ने कोई विशेष कार्य नही किया है। निश्चित ही जनता इसके बदले में अमूल्य उपहार इनको देगी जिसकी पहली किस्त खरगौन में विधायकों की पिटाई और दूसरी किस्त उप चुनावो में परिणाम पलट कर दे दी गयी है। चुनावी वादों पर कितना अमल होता है जनता सब जानती है।
सरकार स्वयं के मंत्रियो के भ्रष्टाचार पर ही लगाम नही लगा पाई साथ ही प्रशासन भी बेलगाम हो गया। ऐसे में प्रदेश कि जनता केवल चुनावो में ही इसका बदला ले सकती है। बड़ा पद अपने साथ माँग करता है बड़े उत्तरदायित्व और बड़े अनुशासन की लेकिन सब कुछ हो रह है इसके उलट। इसीलिए जनता भी उलटफेर करने को आतुर है और वो कहती फिर रही है कि नेता हमेशा लेता है, कुछ देता नही....................पर याद रहे जनता की आवाज़ ही ईश्वर कि आवाज़ है ...... आवाज़ - ऐ- खल्क नगाड़ा - ऐ - खुदा !
हरीश कुमार ( harishjournalist@gmail.com )
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