२६ जनवरी
२६ जनवरी यानी कि गणतंत्र दिवस फिर आ गया है ....... गणतंत्र दिवस यानी कि इस दिन हम गणतंत्र बने थे मतलब अपना संविधान लागू हुआ था और सो मानते हैं कि यह असली आजादी थी । पर आज संविधान क्या है हम भूलते जा रहे हैं ..... सो समय है सोचने का कि आगे का क्या प्लान है इस मुल्क का, इसके नेताओ का, और अवाम का..... तब तक प्रस्तुत है ताज़ा हवा की ओर से काका हाथरसी की कविता २६ जनवरी जो कई साल पहले लिखी गयी पर आज भी प्रासंगिक है ..... गणतंत्र दिवस की बधाई !
२६ जनवरी
कड़की है भड़की है मंहगाई भुखमरी
चुप रहो आज है छब्बीस जनवरी
कल वाली रेलगाडी सभी आज आई हैं
स्वागत में यात्रियों ने तालियाँ बजाई हैं
हटे नही गए नहीं डरे नही झिड़की से
दरवाज़ा बंद काका कूद गए खिड़की से
खुश हो रेलमंत्री जी सुन कर खुशखबरी
चुप रहो आज है .......
राशन के वासन लिए लाइन में खडे रहो
शान मान छोड़ कर आन पर अडे रहो
नल में नहीं जल है तो शोर क्यो मचाते हो
ड्राई क्लीन कर डालो व्यर्थ क्यो नहाते हो
मिस्टर मिनिस्टर की करते क्यो बराबरी
चुप रहो आज है ...................
छोड़ दो खिलौने सब त्याग दो सब खेल को
लाइन में लगो बच्चो मिटटी के तेल को
कागज़ खा जाएंगी कापिया सब आपकी
तो कैसे छपेंगी पर्चियां चुनाव की
पढ़ने में क्या रखा है चराओ भेड़ बकरी
चुप रहो .......................................................
आज है २६ जनवरी
- काका हाथरसी
२६ जनवरी
कड़की है भड़की है मंहगाई भुखमरी
चुप रहो आज है छब्बीस जनवरी
कल वाली रेलगाडी सभी आज आई हैं
स्वागत में यात्रियों ने तालियाँ बजाई हैं
हटे नही गए नहीं डरे नही झिड़की से
दरवाज़ा बंद काका कूद गए खिड़की से
खुश हो रेलमंत्री जी सुन कर खुशखबरी
चुप रहो आज है .......
राशन के वासन लिए लाइन में खडे रहो
शान मान छोड़ कर आन पर अडे रहो
नल में नहीं जल है तो शोर क्यो मचाते हो
ड्राई क्लीन कर डालो व्यर्थ क्यो नहाते हो
मिस्टर मिनिस्टर की करते क्यो बराबरी
चुप रहो आज है ...................
छोड़ दो खिलौने सब त्याग दो सब खेल को
लाइन में लगो बच्चो मिटटी के तेल को
कागज़ खा जाएंगी कापिया सब आपकी
तो कैसे छपेंगी पर्चियां चुनाव की
पढ़ने में क्या रखा है चराओ भेड़ बकरी
चुप रहो .......................................................
आज है २६ जनवरी
- काका हाथरसी
मयंक जी
जवाब देंहटाएंपढ़ लिया आपका ब्लाग। २६ जनवरी के दिन ही। और कविता भी २६ जनवरी पर। अच्छा है। बेकारी में ही तो रास्ता निकलता है। जब भी हम बेकार होते हैं तभी नया सोचते हैं। इसलिए ब्लाग बनाने की बधाई। लिखते रहिए।
Protsaahan hetu dhanyavaad Raveesh jee
जवाब देंहटाएंbahut achhe mitra..
जवाब देंहटाएंu r very creative person.
n i m very luky to get u as my frnd.
shukriya Nitin ..... yah zarranavazi hai !
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