क्या वाकई हम इसी मीडिया के हिस्से हैं .....
अजीब सा लगा जब कल रात को एन डी टीवी और आज दोपहर स्टार न्यूज़ पर संजय दत्त के आतंकवाद पर विचार सुने। पहले तो कल रात यही तय करना मुश्किल था की क्या वाकई मैं एन डी टीवी देख रहा हूँ ...... स्टार से तो खैर इतना अनापेक्षित नहीं था। मैं यहाँ कोई निर्णय देने नहीं बैठा पर क्या यह वाकई उचित था ?
मेरा यह मतलब कतई नहीं है कि एक नागरिक के तौर पर संजय दत्त आतंवादी हमलों पर कोई विचार नहीं रखते या उन्हें देश की फ़िक्र नहीं ...... बिल्कुल होगी ( आख़िर देश की सबसे ज्यादा फ़िक्र फ़िल्म इंडस्ट्री के लोगों को ही तो है ! ) पर आतंवाद पर विचार जानने और दुःख व्यक्त करने के लिए संजय दत्त ही क्यूँ ?
ज्ञात हो कि ये वही महानुभाव हैं जिन्हें दाउद से प्राप्त ऐ के ५६ और विस्फोटक रखने के अपराध में सज़ा भी मिल चुकी है.....(अगर कोई यह कहे कि यह केवल आरोप है तो बन्धु आरोप सिद्ध हो चुके हैं अतः यह अपराध है। ) और अब जब यह माना जा रहा है कि इन हमलों में दाउद की मिलीभगत है तब हमारे पत्रकार संजय दत्त जैसे व्यक्ति का साक्षात्कार करके इस तरह के विषय पर राय जान रहे हैं......यह आख़िर है क्या मज़ाक या व्यंग्य ?
क्या संजय दत्त के अलावा किसी फ़िल्म अभिनेता का साक्षात्कार नहीं किया जा सकता था ? यही नही मुख्तार अब्बास नकवी के बयान पर भी संजय की पत्नी मान्यता का बयान लिया गया जो शायद ही किसी सामाजिक मुद्दे से कभी जुड़ी रही हो (कहीं यह कुछ सेटिंग तो नहीं) ! यह विडम्बना ही है कि इनमे से कोई भी किसी एक भी घायल या मृतक के घर या शवयात्रा में नहीं पहुँचा होगा .....
फिर संजय दत्त ? तब तो फिर हम अबू सालेम की बाईट भी आतंक वाद पर ले सकते हैं.....अभी तो उस पर केस चल ही रहा है.....!
सबसे बड़ा हैरतनाक वाक्य यह रहा कि एन डी टीवी ने सबसे पहले संजू बाबा का इंटरव्यू प्रसारित किया .... कम से कम उनसे यह अपेक्षा नहीं की जाती है ! मुआफ करें एन डी टीवी के पत्रकारों पर आपके सबसे बड़े मुरीदों में से एक आपसे आज बहुत खिन्न है ! मुआफ करें पर अगर आप इस तरह की पत्रकारिता करते हैं तो कृपा करके आम आदमी की बात करना छोड़ दें.....ख़बर वही जो सच दिखाए .....तो क्या परदे की गांधीगिरी देश का सच है ? जुबां पर सच....दिल में इंडिया तो क्या संजय और मान्यता जुबान का वह सच हैं जिसके दिल में इंडिया है ?
वाकई यह शर्मनाक है.....आप माने या ना माने !
बाकी स्टार से भी यह अपील तो करूँगा ही कि कम से कम ऐसे लोगों की बाईट ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर ना लें ... यह आपकी भी छवि का मामला है.....वैसे भी और फ़िल्म अभिनेता मर गए थे क्या जो माफिया और दुबई से सम्बद्ध एक व्यक्ति इस तरह देश और मुंबई की नुमाइंदगी के लिए आप लोगों ने खड़ा कर दिया ? क्या दो ही दिन पहले ख़त्म हुए हादसों में मारे गए और शहीदों के लिए आपके मन में कोई सम्मान नहीं है ?
हलाँकि आप यह कह सकते हैं कि संजय दत्त के दुबई से संबंधों की कोई पुख्ता पुष्टि नहीं है पर शक तो है न....ऐसे किसी संदिग्ध को भी आप इस तरह महिमामंडित कैसे कर सकते हैं ? तो फिर क्यूँ नहीं चारा घोटाले के विरोध में लालू जी की और सिख दंगो पर दुःख जताने के लिए जगदीश टाइटलर के वक्तव्य ले लेते हैं ?
मैं यह अपेक्षा नहीं रखता कि आप माफ़ी मांगेंगे या शर्मिंदा होंगे (आजतक ऐसा कभी हुआ है ?) बस गुजारिश है कि एक बार सोचियेगा ज़रूर कि इससे कितने लोगो की भावनाएं आहत हुई होंगी और उनके परिवारजन जो ९३ के मुंबई हमलों में मरे होंगे ......
खैर आप शर्मिंदा हो या ना हों ..... मैं शर्मिंदा हूँ कि क्या वाकई मैं इसी मीडिया का हिस्सा हूँ !
सही लिखा है आपने ...
जवाब देंहटाएंकहीं से भी देखने पर लगता ही नहीं कि एन डी टी Vई को भारत के हित से कोई सरोकार हो। हमेशा ही वह पाकिस्तान के हित को भारत के हित पर वरीयता देता है।
जवाब देंहटाएंसंजय दत्त घोर किस्म का अपराधी है। उसे ऐसे मैकों पर दिखाना क्या साबित करता है?